माँ दुर्गा जी की आरती


 

जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत , हरि ब्रह्मा शिवजी ।। 🕉 जय  

मांग सिन्दूर  विराजत , टीको  मृगमद को । उज्जव से  दोउ  नैना ,  चन्द्रबदन  नीको ।। 🕉 जय 

कनक  सामान  कलेवर ,  रक्ताम्बर  राजै ।  रक्तपुष्प  गल  माला  कंठन  पर  साजै ।। 🕉 जय 

केहरि वाहन  राजत , खड्ग  खप्पर  धारी । सुर-नर-मुनिजन सेवत , तिनके दुखहारी ।। 🕉 जय 

कानन कुण्डल  शोभित ,  नासाग्रे  मोती । कोटिक चन्द्र दिवाकर , राजत सम ज्योति ।। 🕉 जय 

शुम्भ - निशुम्भ  बिदारे , महिषासुर घाती । धुम्र  विलोचन  नैना , निशदिन  मदमाती  ।। 🕉 जय 

चण्ड - मुण्ड  संहारे ,  शोणित  बीज  हरे ।  मधु  विलोचन  नैना , निशदिन  मदमाती ।। 🕉 जय 

ब्रह्माणी ,  रुद्राणी  ,  तुम  कमला   रानी । आगम निगम बखानी , तुम शिव  पटरानी ।। 🕉 जय  

चौंसठ योगिनी मंगल गावत , नृत्य  करत  भैरुं । बाजत ताल मृदंगा अरु बाजत डमरु ।। 🕉 जय 

तुम ही जग की माता  तुम ही हो भरता । भक्तन की दुःख हरता ,सुख सम्पत्ति करता ।। 🕉 जय 

भुजा चार  अति शोभित , वरमुद्रा धारी । मनवांछित  फल  पावत ,  सेवत  नर  नारी  ।। 🕉 जय 

कंचन थाल विराजत , अगर कपूर बाती । श्री  मालकेतु में  राजत , कोटि रतन ज्योति ।। 🕉 जय 

माँ अम्बे जी की आरती ,जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामि,सुख-सम्पत्ति पावे ।। 🕉 जय 

हमसे जुड़े

Translate

Featured Post