वेदी पूजन सम्पूर्ण


एकलिङ्गतोभद्र मंडल प्रार्थना 

भूत्यालेपनभूषितः प्रविलसन्नेत्राग्निदीपाङ्कुरः ।

कण्ठे पन्नगपुष्पदामसुभगो गङ्गाजलैः पूरितः ।।

ईषत्ताम्रजटाऽग्रपल्लवयुतोन्यस्तो जगन्मण्डपे ।

शम्भुर्मङ्गलकुम्भतामुपगतो भूयात्सतां श्रेयसे ।।

यस्याङ्के च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके ।

भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट् ।

सोऽयं भूतिविभुषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा ।

शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्रीशङ्करः पातु माम् ।।

।। बुध ध्यानम् ।।

पीताम्बरः पीतवपुः किरीटी चतुर्भुजो दण्डधरश्च हारी ।

चर्मासिधृक् सोमसुतो गदाभृत् सिंहाधिरुढो वरदो बुधश्च ।।

।। बृहस्पति ध्यानम् ।।

अभीष्ट फलदं देवं सर्वज्ञं सुर पूजितम् ।

अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम् ।।

। शुक्र ध्यानम् ।।

सन्तप्त कांचननिभं द्विभुजं दयालुं पीताम्बरं धृत सरोरुह केशयुग्मम् ।

क्रौञ्चासनं असुर सेवित पादपद्मं शुक्रं भजे द्विनयनं हृदि पङ्कजेऽहम् ।।

।। गणेश ध्यानम् ।।

श्वेताङ्गं श्वेतवस्त्रं सितकुसुमगणैः पूजितं श्वेतगन्धैः ।

क्षीराब्धौ रत्नदीपैः सुरतरुविमले रत्नसिंहासनस्थम् ।

दौर्भिः पाशाङ्कुशा अभयवरमनसां चन्द्रमौलिं त्रिनेत्रं ।

ध्यायेच्छात्यर्थमाशं गणपतिममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम् ।।


राधा जी का ध्यानम्

मखेश्वरि क्रियेश्वरि स्वधेश्वरि सुरेश्वरि त्रिवेद-भारतीश्वरि प्रमाण - शासनेश्वरि ।

 रमेश्वरि क्षमेश्वरि प्रमोद - काननेश्वरि व्रजेश्वरि व्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते ।।


परिक्रमा कितनी करनी चाहिए 

भैरव जी की तीन परिक्रमा की जाती है ।

शनिदेव जी की सात परिक्रमा की जाती है ।

हनुमान जी की तीन परिक्रमा की जाती है ।

श्री गणेश जी की तीन परिक्रमा की जाती है । 

पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा  की जाती है ।

भगवान कृष्ण की चार परिक्रमा की जाती है ।

भगवान विष्णु की चार परिक्रमा की जाती है ।

भगवान श्री राम की चार परिक्रमा की जाती है । 

माँ दुर्गा की एक परिक्रमा की जाती है ।

शिव जी की आधी परिक्रमा की जाती है । 


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