Ma Shailputri Ki Aarti
शैलपुत्री माँ बैल असवार , करें देवता जय जय कार करें ।।
शिव शङ्कर की प्रिय भवानी , तेरी महिमा किसी ने न जानी ।।
पार्वती तू उमा कहलावें , जो तुझे सुमिरें सुख पावें ।।
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू , दया करें धनवान करें तू ।।
सोमवार को शिव सङ्ग प्यारी , आरती तेरी जिसने उतारी ।।
उसकी सगरी आस पुजा दों , सगरें दुःख तकलीफ मिटा दो ।।
घी का सुन्दर दीप जला के , गोला गरी का भोग लगा के ।।
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें , प्रेम सहित फिर शीश झुकायें ।।
जय गिरराज किशोरी अम्बे , शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे ।।
मनोकामना पूर्ण करों माँ , चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो ।।

Ma Brahmacharini Ki Aarti
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता , जय चतुरानन प्रिय सुख दाता ।।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो , ज्ञान सभी को सिखलाती हो ।।
ब्रह्म मन्त्र हेै जाप तुम्हारा , जिसको जपे सरल संसारा ।।
जय गायत्री वेद की माता , जो जन जिस दिन तुमको ध्याता ।।
कमी कोई रहने ना पाए , कोई भी दुःख सहने न पाए ।।
उसकी विरति रहे ठिकानें , जो तेरी महिमा को जाने ।।
रूद्राक्ष की माला ले कर , जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर ।।
आलस छोड करें गुणगाना , माँ तुम उसको सुःख पहुँचाना ।।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम , पूर्ण करों सब मेरे काम ।।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी , रखना लाज मेरी महतारी ।।

Ma Chandraghanta Ki Aarti
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम , पूर्ण करों माँ मेरे काम ।।
चन्द्र समाज तू शीतल दात्री , चन्द्र तेज किरणों में समाती ।।
मन की मानक मन भाती हो , चन्द्रघण्टा तुम वर दात्री हो ।।
सुन्दर भाव को लाने वाली , हर संकट में बचानें वाली ।।
हर बुधवार को तम्हे ध्याये , श्रद्धा सहित विनय को सुनाए ।।
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए , सन्मुख घी की ज्योति जलाएं ।।
शीश झुका कहे मन की बाते , पूर्ण आस करों जगत दात्री ।।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा , कर्नाटिका में मान तुम्हारा ।।
नाम तेरा रटु हे महरानी , भक्त की रक्षा करों भवानी ।।

Ma Kushmanda Ki Aarti
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी , मुझ पर दया करों महरानी ।।
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली , शाकम्बरी माँ भोली भाली ।।
लाखों नाम निराले तेरे , भक्त कई मतवाले तेरें ।।
भीमा पर्वत पर है डेरा , स्वीकार करों प्रणाम ये मेरा ।।
सबकी सुनती हो जगदम्बे , सुख पहुचाती हो माँ अम्बे ।।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा , पूर्ण करदों मेरी आशा ।।
माँ के मन में ममता भारी , क्यों ना सुनेगी अरज हमारी ।।
तेरे दर पर किया है डेरा , दूर करों माँ संकट मेरा ।।
मेरे कारज पुरे करदों , मेरे तुम भण्डारे भर दों ।।
तेरे दास तुझे ही ध्याए , भक्त तेरे दर शीश झुकाए ।।

Ma Skandamata Ki Aarti
जय तेरी हो स्कन्द माता , पांचवां नाम तुम्हारा आता ।।
सबसे मन की जानन हारी , जग जननी सबकी महतारी ।।
तेरी ज्योती जलाता रहूं मै , हरदम तुझे ध्याता रहूं मै ।।
कई नामों से तुम्हे पुकारा , मुझे एक है तेरा सहारा ।।
कही पहाडों पर है डेरा , कई शहरों मे तेरा बसेरा ।।
हर मन्दिर में तेरे नजारें , गुण गाये सब भक्त तुम्हारे ।।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो , शक्ति मेरी बिगडी बना दो ।।
इन्द्र आदि देवता मिल सारे , करें पुकार तुम्हारे द्वारे ।।
दुष्ट दैत्य सब चढ कर आए , तू ही खण्ड हाथ उठाए ।।
दासों को सदा बचाने आयी , भक्त की आस पुजाने आयी ।।

Ma Katyayani Ki Aarti
जय जय अम्बे जय कात्यायनी , जय जग माता जग की महरानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा , महावर दात्री नाम पुकारा ।।
कई नाम है कई धाम है , यह स्थान भी सुखधाम है ।।
हर मन्दिर में ज्योति तुम्हारी , कही योगेश्वरी महिमा न्यारी ।।
हर जगह उत्सव होते रहते , हर मन्दिर में भगत है कहते ।।
कात्यायनी रक्षक काया की , ग्रन्थि को मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुडानें वाली , अपना नाम जपाने वाली ।।
बृहस्पतिवार को पुजा करिए , ध्यान कात्यायनी का धरिये ।।
हर संकट को दूर करेगी , भंडारे भरपूर भरेगी ।।
जो भी माँ को भक्त पुकारे , कात्यायनी सब कष्ट निवारे ।।

Ma Kalaratri Ki Aarti
कालरात्रि जय जय महाकाली , काल के मुंह से बचाने वाली ।।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा , महाचंडी तेरा अवतारा ।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा , महाकाली है तेरा पसारा ।।
खड्ग खप्पर रखने वाली , दुष्टो का लहू चखने वाली ।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा , सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।
सभी देवता सब नर नारी , गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा , कृपा करें तो कोई भी दुःख ना ।।
ना कोई चिन्ता रहे ना बिमारी , ना कोई गम ना संकट भारी ।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे , महाकाली माँ जिसे बचावें ।।
तू भी भक्त प्रेम से कह , कालरात्री माँ तेरी जय ।।

Ma Mahagauri Ki Aarti
जय महागौरी जगत की माया , जय उमा भवानी जय महामाया ।।
हरिद्वार कनखल के पासा , महागौरी तेरा वहा निवासा ।।
चन्द्रकली और ममता अम्बे , जय शक्ति माँ जय जगदम्बे ।।
भीमा देवी विमला माता , कौशिक देवी जग विख्याता ।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा , महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।।
सती सत हवन कुण्ड में था जलाया , उसी धुएं ने रूप काली बनाया ।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया , तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।।
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया , शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता , माँ बिगडा हुआ काम उसका सुधारती ।।
भक्त बोले तो सोच तुम क्या रहे हो , महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ।।

Ma Sidhidatri Ki Aarti
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता , तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि , तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम , जब भी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।
तेरी पुजा में तो ना कोई विधि है , तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है ।।
रविवार को तेरा सुमिरन करें जो , तेरे मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काज उसके करती है पूरे , कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया , रखे जिसके सिप पर मैया अपनी छाया ।।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली , जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा , महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता , भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।
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