।। श्रीहित चौरासी । श्रीहित स्फुट वाणी । श्री सेवक वाणी ।।
।। श्रीराधासुधानिधि स्तोत्रम् ।।
॥ श्री हितं वन्दे ॥
॥ श्रीराधावल्लभो जयति ॥
।। श्रीहित चौरासी (१) राग-विभास ।।
जोई- जोई प्यारौ करै सोई मोहि भावै,
भावै मोहि जोई सोई-सोई करैं प्यारे ।
मोकों तौ भावती ठौर प्यारे के नैंनन में,
प्यारौ भयौ चाहै मेरे नैंनन के तारे ॥
मेरे तन मन प्राण हूँ ते प्रीतम प्रिय,
अपने कोटिक प्राण प्रीतम मोसों हारे ।
(जै श्री) हित हरिवंश हंस-हंसिनी साँवल - गौर,
कहौ कौन करै जल- तरंगनि न्यारे ॥
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