व्याकरण का विशिष्ट अध्ययन UGC.NET

 तस्मै पाणिनये नमः 

परिभाषाएं-

संहिता संज्ञा

सूत्रम्- परः सन्निकर्षः संहिता । 1/1/109

वृत्ति:- वर्णानामतिशयितः सन्निधिः संहिता संज्ञा स्यात् ।

हिन्दी अर्थ- वर्णों की अत्यन्त समीपता को संहिता संज्ञा कहते है ।

संयोग संज्ञा

सूत्रम्- हलोऽनन्तराः संयोगः । 1/1/7

वृत्ति:- अज्भिरव्यवहिता हलः संयोगसंज्ञाः स्युः ॥

ईदूदन्तौ नित्यस्त्रीलिङ्गौ नदीसंज्ञौ स्तः ।

हिन्दी अर्थ- नित्य स्त्रीलिङ्ग ईकारान्त और ऊकारान्त की नदी संज्ञा होती है ।

गुण संज्ञा

सूत्रम्- अदेङ् गुणः । 1/1/2

वृत्ति:- अत् एङ् च गुणसंज्ञः स्यात् ।

हिन्दी अर्थ- ह्रस्व अकार और एङ् प्रत्याहार की गुण संज्ञा होती है ।

वृद्धि संज्ञा

सूत्रम्- वृद्धिरादैच् । 1/1/1

वृत्ति:- आदैच्च वृद्धिसंज्ञः स्यात्॥

हिन्दी अर्थ - दीर्घ आकार और ऐच् (ऐ, औ) की वृद्धि संज्ञा होती है ।

प्रादिपदिक संज्ञा

सूत्रम्- अर्थवदधातुरप्रत्ययः प्रातिपदिकम् । 1/2/45

वृत्ति:-- धातुं प्रत्ययं प्रत्ययान्तं च वर्जयित्वा अर्थवच्छब्दस्वरूपं प्रातिपदिकसंज्ञं स्यात् ॥

हिन्दी अर्थ - अर्थात् धातु, प्रत्यय और प्रत्ययान्त से भिन्न कोई सार्थक शब्द को प्रातिपदिक कहते हैं।

सूत्रम्- कृत्तद्धितसमासाश्च । 1/2/46

वृत्ति:- कृत्तद्धितान्तौ समासाश्च तथा स्युः॥

हिन्दी अर्थ - कृदन्त, तद्धितान्त और समास की प्रातिपदिक संज्ञा होती है ।

नदी संज्ञा

सूत्रम्- यू ख्याख्यौ नदी । 1/4/3


घि संज्ञा

सूत्रम् - शेषो घ्यसखि । 1/4/7

वृत्ति:- ह्रस्वौ याविदुतौ तदन्तं सखिवर्ज घिसंज्ञम् ॥

हिन्दी अर्थ- सखि शब्द को छोड़कर ह्रस्व इकारान्त और उकारान्त की घि संज्ञा होती है ।

उपधा संज्ञा

सूत्रम् - अलोऽन्त्यात्पूर्व उपधा । 1/1/65

हिन्दी अर्थ - अंतिम वर्ण से पूर्व वर्ण की उपधा संज्ञा होती है ।

अपृक्त संज्ञा

सूत्रम्- अपृक्त एकाल् प्रत्ययः । 1/2/41

वृत्ति:- एकाल् प्रत्ययो यः सोऽपृक्तसंज्ञः स्यात् ॥

 हिन्दी अर्थ - एक अल् प्रत्यय की अपृक्त संज्ञा होती है ।

गति संज्ञा

सूत्रम्- गतिश्च । 1/4/60

वृत्ति:- प्रादयः क्रियायोगे गतिसंज्ञाः स्युः ।

हिन्दी अर्थ - प्रादियों की क्रिया के योग में गतिसंज्ञा होती है ।

पद संज्ञा

सूत्रम्- सुप्तिङन्तं पदम् । 1/4/14

वृत्ति:- सुबन्तं तिङन्तं च पदसंज्ञं स्यात्॥

हिन्दी अर्थ - सुबन्त और तिङन्त की पद संज्ञा होती है ।

विभाषा संज्ञा

सूत्रम्- न वेति विभाषा । 1/1/43

हिन्दी अर्थ - जहाँ विकल्प से होने और न होने, दोनों की स्थिति बनी रहती है वहाँ विभाषा संज्ञा होती है ।

सवर्ण संज्ञा

सूत्रम्- तुल्यास्यप्रयत्नं सवर्णम् । 1/1/8

वृत्ति:- ताल्वादिस्थानमाभ्यन्तरप्रयत्त्रश्चेत्येतद्द्वयं यस्य येन तुल्यं तन्मिथः सवर्णसंज्ञं स्यात्।

हिन्दी अर्थ - जिन दो या दो से अधिक वर्णों के उच्चारण स्थान तथा आभ्यन्तर प्रयत्न दोनों समान हो उनकी परस्पर सवर्ण संज्ञा होती है ।

टि संज्ञा

सूत्रम्- अचोऽन्त्यादि टि । 1/1/64

वृत्ति:- अचां मध्ये योऽन्त्यः स आदिर्यस्य तट् टिसंज्ञं स्यात्।

हिन्दी अर्थ - अचों में जो अन्य अच् है वह आदि में है जिसके उस शब्द समुदाय की टि होती है।

प्रगृह्य संज्ञा

सूत्रम्- ईदूदेद् द्विवचनं प्रगृह्यम् | 1/1/11

वृत्ति:- ईदूदेदन्तं द्विवचनं प्रगृह्यं स्यात् ।

हिन्दी अर्थ- द्विवचनान्त ईकारान्त, ऊकारान्त और एकारान्त की प्रगृह्य संज्ञा होती है ।

सर्वनामस्थान संज्ञा

सूत्रम्- सुडनपुंसकस्य । 1 / 1 /43

वृत्ति:- स्वादिपञ्चवचनानि सर्वनामस्थानसंज्ञानि स्युरक्लीबस्य॥

हिन्दी अर्थ - नपुंसक लिङ्ग को छोड़कर सु आदि पाँच प्रत्ययों की सर्वनामस्थान संज्ञा होती है ।

सूत्रम्- शि सर्वनामस्थानम् । 1/1/42

वृत्ति:- शि इत्येतदुक्तसंज्ञं स्यात् ॥

हिन्दी अर्थ - शि सर्वनामस्थान संज्ञक होता है । 'ज्ञान+इ' यहाँ 'शि' की सर्वनामस्थान संज्ञा हुई।

भ संज्ञा

सूत्रम्- यचि भम् । 1/4/18

वृत्ति:- यादिष्वजादिषु च कप्प्रत्ययावधिषु स्वादिष्वसर्वनामस्थानेषु पूर्व भसंज्ञं स्यात् ।

हिन्दी अर्थ- सर्वनामस्थानसंज्ञक प्रत्ययों को छोड़कर सु से लेकर कप प्रत्यय पर्यन्त यकारादि और अकारादि प्रत्ययों के परे होने पर पूर्वशब्दस्वरूप भसंज्ञक होता है ।

सर्वनाम संज्ञा

सूत्रम्- सर्वादीनि सर्वनामानि । 1/1/27

हिन्दी अर्थ- सर्व, विश्व, उभ, उभयादि सर्वादिगण पठित शब्दों की सर्वनाम संज्ञा होती है ।

निष्ठा संज्ञा

सूत्रम्- क्तक्तवतू निष्ठा । 1/1/26 

वृत्ति:- एतौ निष्ठासंज्ञौ स्तः ॥

हिन्दी अर्थ - क्त और क्तवतू इन प्रत्ययों की निष्ठा संज्ञा होती है ।

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